नहीं सकूंगा अर्थात्, मन को स्थिर करते हो, क्यों नहीं सकोगे, कोशिश तो करो। नहीं सकूंगा अर्थात्, मन को स्थिर करते हो, क्यों नहीं सकोगे, कोशिश तो करो।
हर रोज घड़ी दो घड़ी ठहर जाता हूँ, किसी सुनसान जगह पे जहाँ थके धड़कनों को सुकून मिले, हर रोज घड़ी दो घड़ी ठहर जाता हूँ, किसी सुनसान जगह पे जहाँ थके धड़कनों क...
मुरलिया की धुन जबसे कानों पड़ी है बँधी डोर से हम खिंचे जा रहे थे। मुरलिया की धुन जबसे कानों पड़ी है बँधी डोर से हम खिंचे जा रहे थे।
गीली परतों पर शबनम ने बरसाई झीनी-झीनी धार है। गीली परतों पर शबनम ने बरसाई झीनी-झीनी धार है।
आकर रँग भरो हजार, तुम मेरे जीवन आधार। आकर रँग भरो हजार, तुम मेरे जीवन आधार।
नव कुसुमन ने धरा सजाई, स्वर्ग उतर धरती पर आया। नव कुसुमन ने धरा सजाई, स्वर्ग उतर धरती पर आया।